ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त होना बड़ी उपलब्धि :मुख्यमंत्री डॉ. यादव

टीम वर्क से जीआईएस बनी सुप्रबंधन का पर्याय
कार्य योजना बनाकर किया जाएगा निवेश प्रस्तावों का फॉलो-अप
अगले सप्ताह रखी जाएगी 850 करोड़ रूपए के निवेश से नीमच सौर परियोजना की आधारशिला
प्रदेश में निवेश और औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार का कारवां निरंतर जारी रहेगा
मुख्यमंत्री ने की जीआईएस भोपाल के निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन की समीक्षा

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भोपाल में पहली बार हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन बेहतर टीमवर्क और समन्वय से संभव हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के साथ ही बड़ी संख्या में विदेशी राजनायिकों, वाणिज्यिक प्रतिनिधियों और देश के प्रमुख औद्योगिक समूह के प्रतिनिधियों के एक साथ आगमन और जीआईएस में सहभागिता का प्रबंध चुनौती पूर्ण था। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट सुप्रबंधन का पर्याय बनी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जीआईएस के सफल आयोजन के लिए सभी विभागों के अधिकारियों और टीम को बधाई दी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में निवेश और औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार का यह कारवां निरंतर जारी रहेगा। प्रदेश में उद्योगों के लिए विद्यमान बेहतर अधोसंरचना और निवेश वातावरण के परिणामस्वरूप उद्योग समूह त्वरित रूप से अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहे हैं। अगले सप्ताह 850 करोड़ रूपए के निवेश से स्थापित होने वाली नीमच सौर परियोजना की आधारशिला रखी जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भोपाल में प्राप्त निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन सहित संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि समिट में कुल 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिससे लगभग 21 लाख 40 हजार रोजगार के अवसर सृजित होंगे। जीआईएस में 25 हजार से अधिक लोगों ने भागीदारी की। इसमें 9 पार्टनर कंट्री और 60 से अधिक देशों से 100 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय डेलिगेट शामिल हुए। जीआईएस में 300 से अधिक प्रमुख उद्योगपतियों और उद्योगों की भागीदारी रही। जीआईएस में 10 सेक्टरल सत्र, 6 कंट्री सेशंस, 6 समिट, 70 से अधिक वन-टू-वन बैठकें, 5 हजार से अधिक बी-टू-बी मीटिंग और 600 से अधिक बी-टू-जी मीटिंग्स संपन्न हुईं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 18 नई निवेश नीतियां लांच की गई और 89 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। यह प्रदेश में अब तक हुईं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सबसे अधिक भागीदारी थी। जीआईएस की पूर्व तैयारी के लिए देश-विदेश में इंटरेक्टिव सत्र किए गए। ऑटो-एक्सपो, टेक्सटाइल एक्सपो, ऑक्सफोर्ड, वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट एग्जीबिशन के साथ ही एमपी पवेलियन और डिजिटल एक्सपीरियंस जोन, जीआईएस में आकर्षण का विशेष केंद्र रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि विभिन्न सेक्टरों में बड़ी संख्या में निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा में 8 लाख 94 हजार 301 करोड़ निवेश के 441 प्रस्ताव, इंफ्रास्ट्रक्चर में 3 लाख 37 हजार 329 करोड़ रूपए निवेश के 870 प्रस्ताव, खनन और खनिज क्षेत्र में 3 लाख 25 हजार 321 करोड़ रूपए के 378 निवेश के प्रस्ताव, रक्षा-विमानन और एयरोस्पेस में 3 लाख 01 हजार 681 करोड़ के 8 प्रस्ताव और पेट्रोकेमिकल्स-रसायन-प्लास्टिक व संबद्ध क्षेत्र में 1 लाख 4 हजार 158 करोड़ रूपए निवेश के 237 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

इसी प्रकार आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में 78 हजार 314 करोड़ रूपए के 193 प्रस्ताव, पर्यटन तथा हॉस्पिटेलिटी में 68 हजार 824 करोड़ रूपए के 303 प्रस्ताव, कृषि और खाद्य प्र-संस्करण में 63 हजार 383 करोड़ रूपए के 957 प्रस्ताव, शिक्षा में 52 हजार 294 करोड़ रूपए के 191 प्रस्ताव, हेल्थ केयर, फार्मा और चिकित्सा उपकरण के लिए 41 हजार 986 करोड़ रूपए के 345 प्रस्ताव, ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 41 हजार 590 करोड़ रूपए के 349 प्रस्ताव, इंजीनियरिंग क्षेत्र के 26 हजार 277 करोड़ रूपए के 203 प्रस्ताव, कपड़ा-टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र में 21 हजार 833 करोड़ रूपए के 171 प्रस्ताव, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाऊसिंग से संबंधित 9 हजार 112 करोड़ रूपए के 67 प्रस्ताव, पैकेजिंग क्षेत्र में 1 हजार 697 करोड़ रूपए के 51 प्रस्ताव तथा अन्य क्षेत्रों में 83 हजार 720 करोड़ रूपए के 1 हजार 96 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि निवेश प्रस्तावों के प्रभावी फॉलो-अप के लिए छह स्तरीय कार्य योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत एमपीआईडीसी द्वारा निवेश प्रस्तावों की स्क्रीनिंग और डेटा प्रविष्टि कर उनका विभागवार वर्गीकरण किया जाएगा। संबंधित विभाग निवेश राशि के आधार पर क्षेत्रीय कार्यालय, मुख्यालय और विभाग स्तर पर प्रस्तावों का फॉलो-अप करेंगे। प्रत्येक विभाग द्वारा रिलेशनशिप मैनेजर की नियुक्ति की जाएगी। फॉलोअप के लिए मॉनीटरिंग और रिपोर्टिंग की पुख्ता व्यवस्था की गई है। संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव प्रति सप्ताह प्रगति की समीक्षा कर मुख्य सचिव को रिपोर्ट देंगे। इसके साथ ही मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर भी निश्चित अंतराल पर मॉनीटरिंग की व्यवस्था की गई है। निवेश प्रस्तावों को साकार करने के लिए भूमि आवंटन, अनुमोदन और आवश्यक मंजूरियों के लिए संबंधित विभाग द्वारा आवश्यक समन्वय और सहयोग किया जाएगा। इसके साथ ही निवेशकों की प्रतिक्रिया के विश्लेषण और समाधान के लिए उनसे फीडबैक प्राप्त करने की भी व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रस्तावों को वास्तविक निवेश में परिवर्तित करने के लिए रणनीति बनाकर कार्य होगा। इसके लिए प्राथमिकता पर प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे और सेक्टर फोकस्ड औद्योगिक सेक्टरों का भी विकास होगा। जिला स्तर पर कलेक्टर्स को भूमि और जल की आवश्यकता से अवगत कराकर समय-सीमा में उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। निवेशक अपनी इकाई का शीघ्रता से संचालन शुरू कर सकें, इसके लिए प्लग-एंड-प्ले सुविधा विकसित की जाएगी। प्रदेश में एमपी इन्वेस्टर पोर्टल का उन्नयन किया गया है। इसके साथ ही एमपीआईडीसी में विशेष सेल अंतर विभागीय समन्वय सुनिश्चित करेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, खनिज संसाधन, शहरी विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन, एमएसएमई की आगामी कार्य योजना की बिन्दुवार समीक्षा की। बैठक में उद्योग और रोजगार वर्ष 2025 के अंतर्गत संचालित होने वाली गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया गया कि सेक्टर फोकस्ड समिट के साथ ही कौशल संवर्धन कार्यक्रम, आईटीआई और उद्योगों के समन्वय, इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए ईओडीबी क्लीनिक के आयोजन सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों में सहभागिता की जाएगी।

News Desk

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